★ गंगा मंथन 7 जुलाई, 2014 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। गंगा मंथन में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न धर्मों के संत एवं आध्यात्मिक गुरू, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन, नीति निर्माता, जन प्रतिनिधि, प्रशासकगण, शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों, सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र, सुश्री उमा भारती, माननीय मंत्री जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण; श्री नितिन गडकरी, माननीय मंत्री पोत परिवहन, सड़क परिवहन और राजमार्ग, पंचायती राज, ग्रामीण विकास और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय; और श्रीपद नाईक, माननीय मंत्री ,पर्यटन एवं संस्कृति, श्री संतोष कुमार गंगवार, माननीय मंत्री राज्य मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री तथा वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के शुभ विचारों के साथ आरम्भ हुआ। उद्घाटन सत्र के पश्चात् सभी आमंत्रित महानुभावों को उनके कार्यक्षेत्रों के अनुभवों के अनुसार 4 विभिन्न समूहों में विचार विमर्श के लिए अलग-अलग गोष्ठी कक्षों में व्यवस्थित किया गया जो निम्नलिखित हैः .
समूह A: आध्यात्मिक गुरूजन
समूह B: एनजीओ एवं पर्यावरणविद्
समूह C : षिक्षाविद् एवं तकनीकी विषेश्यता
समूह D: जन प्रतिनिधि, प्रशासक और गैर सरकारी संगठन
★ इस कार्यक्रम में लगभग 500 महानुभावों ने भाग लिया तथा इनका समूहवार प्रतिनिधित्व निम्न पाई चार्ट में दिया गया हैः: .
सामूहिक चर्चा के दौरान गंगा नदी से संबंधित समस्याओं पर चर्चा की गई और गंगा नदी का संरक्षण करने के लिए उपरोक्त चार अनुभवी समूहों द्वारा सिफाारिशें प्रदान की गई। सभी प्रतिभागियों की एक आम सहमति थी कि गंगा नदी ‘निर्मल‘ और ‘अविरल‘ होनी चाहिए। गंगा संरक्षण के लिए एक व्यापक कार्यनीति तैयार करते समय प्रतिभागियों के दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा। मंत्रियों द्वारा इस कार्य को करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दिखाई गई है। गंगा मंथन, गंगा नदी संरक्षित करने के लिए जन आंदोलन कार्यक्रम के रूप में एक प्रारंभ है जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया तथा उन पर विचार विमर्श कर सुझाव दिये।
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